बिजली संकट से जूझ रही सरकार के सामने अब आंदोलन की बड़ी चुनौती है। आंदोलन स्मार्ट प्रीप्रेड मीटर को लेकर होगा, जिसके लिए बिजली उपभोक्ता महासंघ बनाया गया है। उपभोकता महासंघ बनाकर दशहरा बाद बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। स्मार्ट प्रीपेड मीटर से परेशान उपभोक्ताओं को इस आंदोलन में शामिल होने के लिए पूरे पटना में अभियान चलाया जा रहा है। संघ का कहना है कि सरकार लगातार ऐसा फरमान जारी कर रही है जो जनविरोधी है। जिन गरीबों को 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल दिया जा रहा है, वह कहां से प्रीपेड मीटर रीचार्ज करेंगे।
बिजली उपभोक्ता महासंघ का कहना है कि 11 अक्टूबर 2021 को बिहार सरकार ने कैबिनेट से पास कर हर बिजली उपभोक्ताओं के घरों में प्रीपेड, स्मार्ट मीटर लगाने का फरमान जारी किया है। इससे बिहार के करीब 2 करोड़ विधुत उपभोक्ताओं में सरकार के इस जन विरोधी निर्णय के खिलाफ आक्रोश है। सरकार ने प्रीपेड मीटर लगाने के लिए करीब 11,000 हजार करोड़ रुपए की भी अतिरिक्त निधि आवंटित की है। यह भी बड़ा मामला है। विधुत उपभोक्ता महासंघ बिहार के मुख्य संरक्षक राम भजन सिंह यादव का कहना है कि दशहरा बाद बड़े स्तर पर सरकार के निर्णय के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी।
पटना में स्मार्ट प्रीप्रेड मीटर को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी
महासंघ का कहना है कि एक तरफ बिहार के मुखिया 15 वर्षों से बिहार को विशेष राज्य की दर्जा देने के लिए लगातार केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि बिहार एक गरीब राज्य है। बिना विशेष राज्य का दर्जा दिए या विशेष आर्थिक पैकेज दिए बिहार के गरीबों का जीवन स्तर में सुधार नही लाया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ बिजली कंपनियों को गरीबों से लूटने के लिए 11 हजार करोड़ रुपए आवंटित कर यह साबित कर रही है कि बिहार सरकार गरीब ,किसान मजदूर ,महिला विरोधी है।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महासंघ का कहना है कि बिजली जब सरकार के हाथों में थी तो उपभोक्ता के घरों में काला मीटर लगा करता था। विधुत शुल्क भी 3 से 4 रुपए प्रति यूनिट थी तथा मीटर का भी चार्ज 25 रुपए था। इस मीटर से साधारण यानि 80% उपभोक्ताओं को 300 से 1000 तक बिल आता था। जब बिजली प्राइवेट हाथों में गई तो कंपनियां काला मीटर को हटा कर विदेश निर्मित इलेक्ट्रॉनिक मीटर उपभोक्ताओं के घरों में लगा दिया। इसका परिणाम हुआ कि लोगों को तीन गुणा तक बिजली का बिल आने लगा। अभी बिजली का भी करीब 8 रुपए यूनिट के हिसाब बिल लिया जा रहा है। मीटर का भी शुल्क 250 रुपए चार्ज किया जा रहा है।
स्मार्ट मीटर से परेशान हैं लोग
महासंघ का कहना है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर से लोग परेशान हैं। अचानक से बिजली का बिल डबल हो गया है। मीटर इतनी तेजी से चल रहा है कि लोगों को इलेक्ट्रॉनिक मीटर से दो गुना ,तीन गुना0 अधिक बिल देना पड़ रहा है। अचानक से मीटर बदलते ही बिल क्यों बढ़ गया, यह बड़ा सवाल है। बिहार में अधिक संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं, जिनको जिंदा रखने के लिए सरकार 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल दे रही है। ऐसे में बिहार जैसे गरीब राज्य में स्मार्ट मीटर लगाना गरीबों के लिए भारी पड़ेगा।
महासंघ ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले गरीबों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखित आवेदन में कहा गया है कि जब उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब ,केरला ,बंगाल जैसे राज्य प्रीपेड मीटर लगाने की योजना को नकार दिया है, तो बिहार में क्यों लागू करने पर सरकार आमादा है। महासंघ ने बिहार के सभी विधुत उपभोक्ताओं से प्रीपेड स्मार्ट मीटर का विरोध करने का आह्वान किया है। महासंघ का कहना है कि दुर्गा पूजा के बाद प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ सरकार और बिजली कंपनियों के खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा।