भारत में इन दिनों ऑर्गेनिक खेती (Organic farming information in hindi) की खूब चर्चा हो रही है। कई किसान ऑर्गेनिक खेती (Organic kheti) कर रहे हैं इसमें सफलता भी पा रहे हैं। इस खेती में पूरी तरह से प्रकृति द्वारा दी गयी चीजे इस्तेमाल की जाती है। इस खेती (Organic agriculture) को लंबे समय तक कर सकते हैं, इसमें लागत कम आती है साथ ही इसके उत्पाद महंगे होते हैं। इसलिए किसानों को इसमें फायदा होगा। जैविक खेती (Jaivik kheti in hindi) को एक सस्टेनेबल बिजनेस  मॉडल के तौर प विकसित किया जा सकता है। कई किसान इसे करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत में अभी जैविक के लिए कई मुश्किलें भी हैं। इसलिए जैविक खेती (Organic kheti in hindi) करने से पहले इन बातों को जानना बेहद जरूरी है।

Organic farming information in hindi

किसान अपनी फसलों के ज्यादा उत्पाद के लिए अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवार नाशियो, वृद्धिकारकों (हार्मोन्स) का उपयोग करतेे है जो इंसान के स्वावस्थ और मिट्टी के लिए हानिकारक है। पर्यावरण का निरन्तर ह्रास हो रहा है। जिससे कैंसर, हार्ट अटैक, लो बीपी , हाई बीपी , जैसी कई गम्भीर बीमारियां हो रही है। रासायनिक खेती एवं मशीनीकरण से खेती की लागत बढ़ रही है, वहीं कृषकों को अपनी मेहनत का लाभ नहीं मिल रहा है। स्वस्थ जीवन के लिए जैविक कृषि (Natural farming) क्रियाएं अपनाना ही एक मात्र विकल्प है।

जैविक खेती क्या है? (What is organic farming explain)

Organic farming information in hindi

जैविक खेती (Organic farming information in hindi) पुरानी विधि से की जाने वाली खेती है, जो जमीन की प्राकृतिक क्षमता बनाए रखती है। ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) से पर्यावरण शुद्ध बना रहता है, मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है। ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) में केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता और कम लागत में गुणवत्तापूर्ण पैदावार होती है। जैविक खेती में केमिकल फर्टिलाइजर, पेस्तटीसाइड या खर-पतवार नाशक की बजाय गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, हरी खाद, वैक्टीरिया कल्चर, जैविक खाद और जैविक कीटनाशक आदि की मदद से खेती की जाती है। इस वजह से Organic Farming के जरिये पैदा होने वाले फल-सब्जियों की गुणवत्ता बनी रहती है और वे बाजार में महंगे बिकते हैं।

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जैविक खेती हमारे जीवन में क्यों जरूरी है? (Organic farming information in hindi)

Organic farming information in hindi

बीमारियों की एक बड़ी जड़ रासायनिक खाद (Chemical fertilizer) और कीटनाशक (Pesticides) भी है। कई राज्यों में इन दोनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसकी वजह से लोगों की सेहत खराब हो रही है। एक दौर में यहां पर जैविक खादों (Organic farming information in hindi)  से ही लोग खेती करते थे। उसके उत्पाद सेहत को हानि नहीं पहुंचाते थे। लेकिन हरित क्रांति की शुरुआत के बाद रासायनिक खादों के इस्तेमाल की अंधी दौड़ शुरू हो गई। जिससे लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ रहा है। रासायनिक खादों (Chemical Fertilizers) के असंतुलित इस्तेमाल से जमीन बंजर हो रही है। इसलिए फिर से जैविक खेती की प्रासंगिकता बढ़ गई है। क्योंकि इसमें कीटनाशक और रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं होता। इसलिए जैविक खेती से पैदा उत्पाद सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते।

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जैविक खेती के उद्देश्य (Organic farming information in hindi)

भारत में जैविक खेती करने का उद्दश्य एक ऐसे बिजनेस मॉडल को जन्म देना है जिससे पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है। मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बनी रहे। साथ ही लोगों तक पहुंचने वाला खाद्य पदार्थ केमिकल फ्री हो।साथ ही इसके जरिये किसानों की आय को वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है।

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जैविक खेती से होने वाले लाभ (Benefits of organic farming)

जमीन की सेहत सुधरेगी

रासायनिक खाद और कीट-खरपतवारनाशकों के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति घटती जा रही है। कीटनाशक नदी-तालाबों में भी पहुंच जाते हैं। मगर, जैविक खाद एवं बीज के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और बेहतर फसल भी होगी।

शुद्ध उत्पाद मिलेंगे

जैविक खेती से फसलों में हानिकारक तत्व नहीं सकेंगे। रासायनिक खाद, कीटनाशक के प्रयोग से इसके तत्व फसलों के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं। यही नहीं, चारे के जरिए पशुओं के शरीर में भी हानिकारक रसायन पहुंचते हैं। फिर दूध, दही और मांस के जरिए ये मनुष्य के शरीर में आ जाते हैं।

खुशहाल होंगे किसान

जैविक खेती से किसानों की आमदनी बढे़गी। हालिया कुछ साल से जैविक उत्पाद की मांग बढ़ी है। जैविक पदार्थों का मूल्य सामान्य उत्पादों के मुकाबले काफी ज्यादा भी होता है। जैविक खेती से जहां पर्यावरण में सुधार आएगा और फसल का ज्यादा मूल्य मिलेगा।

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जैविक खेती से पर्यावरण को होने वाले लाभ (Organic kheti in hindi)

  • भूमि के जल स्तर में वृद्धि हो जाती हैं।
  • मिट्टी, खाद्य पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषणों मे भीकाफी कमी आ जाती है।
  • कचरे का प्रयोग खाद बनाने में करने से बीमारियों में कमी आती है।
  • फसल उत्पादन की लागत में काफी कमी हो जाती है और आय में वृद्धि होती है।

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जैविक खाद कैसे बनाएं? (How to make organic fertilizer)

रासायनिक उर्वरक के लिए किसानों को पैसे खर्च करने होते हैं। जबकि जैविक खाद (Organic farming information in hindi) किफायती होते हैं। इसे आप खुद भी तैयार कर सकते हैं। खेतों की मिट्टी के लिए जैविक खाद नुकसानदायक भी नहीं होते हैं। इसके लिए आपको बहुत कुछ चाहिए भी नहीं होता है। देसी गाय या भैंस के गोबर वगैरह से बनाया जा सकता है।

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जैविक खाद बनाने के लिए सामग्री (organic farming methods)

  • गाय, भैंस का गोबर
  • गोमूत्र
  • गुड़
  • मिट्टी
  • बेकार या सड़े दाल वगैरह
  • लकड़ी का बुरादा

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जैविक खाद बनाने की विधि (how to make organic fertilizer)

  • एक प्लास्टिक का ड्रम लें, उसमें गाय या भैंस का गोबर डालें।
  • अब इसमें गोमूत्र मिला लें और फिर इसमें इस्तेमाल में न आने वाले गुड़ को डालें।
  • इसमें पिसी हुई दालों और लकड़ी का बुरादा डालकर मिला दें और फिर इस मिश्रण को 1 किलो मिट्टी में सान लें।
  • जैविक खाद बनाने के लिए सामग्रियों का सही मात्रा में मिश्रण करना बहुत जरूरी है। कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि खाद बनाने के लिए 10 किलो गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, एक किलो चोकर, एक किलो गुड़ मिलाकर मिश्रण तैयार करना चाहिए।
  • सारी सामग्रियों को आप हाथ से ​भी मिला सकते हैं या फिर किसी लकड़ी के डंडे वगैरह की मदद ले सकते हैं। मिश्रण ठीक से बन जाए तो फिर इसमें एक से दो लीटर पानी और डाल दें। अब इस मिश्रण को 20 दिनों तक ढक कर रख दें।

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जैविक खाद बनाते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान (Jaivik kheti in hindi)

  • ध्यान रखना है कि इस ड्रम पर धूप न पड़े। इसे छाया में रखें।
  • बढ़िया खाद पाने के लिए इस घोल को हर दिन एक बार जरूर हिलाते-मिलाते रहें।
  • 20 दिन बाद यह जैविका खाद बन कर तैयार हो जाएगा।

जैविक खाद में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु कितना फायदेमंद

इस तरह तैयार जैविक खाद में सूक्ष्म जीवाणु भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो खेतों की मिट्टी की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इस जैविक खाद से ना केवल फसल जल्दी विकसित होती है बल्कि फसल की जड़ों को भरपूर मात्रा में आयरन भी मिलता है। यह पौधे की जड़ों को नाइट्रोजन भी प्रदान करता है। इसके अलावा पौधे की जड़ों में कैल्शियम की सही मात्रा भी सुनिश्चित करता है।

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सरकार दे रही है जैविक खेती की मुफ्त ट्रेनिंग (National centre of organic farming)

सरकार की तरफ से जैविक खेती की मुफ्त ट्रेनिंग (Pradhan mantri jaivik kheti portal) की व्यवस्था की गई है। इसके लिए अलग-अलग क्षेत्र के कई विशेषज्ञों से बात की गई है, जो ऑनलाइन माध्यम से देश भर के लोगों को जैविक खेती के फायदे  (Benefits of organic farming) बताएंगे और साथ ही इसे करने का तरीका भी बताएंगे। इसमें आपको ना सिर्फ जैविक खेती करना बताया जाएगा, बल्कि जैविक खादों के बारे में भी बताया जाएगा।

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जैविक खेती के लिए सरकारी योजनाएं (Rashtriya jaivik kheti kendra)

  • परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER)
  • तिलहन और तेल पाम पर राष्ट्रीय मिशन (NMOOP)
  • मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के तहत पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ( NFSM)

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सरकार जैविक खेती के लिए दे रही है आर्थिक मदद (Organic agriculture)

सरकार ने जैविक खेती प्रमोट करने के लिए सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) बनाई है। पीकेवीवाई (paramparagat krishi vikas yojana) के तहत तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये की सहायता दी जा रही है।

  • इसमें से किसानों को जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों और वर्मी कंपोस्ट आदि खरीदने के लिए 31,000 रुपये (61 प्रतिशत) मिलता है।
  • मिशन आर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ इस्टर्न रीजन के तहत किसानों को जैविक इनपुट खरीदने के लिए तीन साल में प्रति हेक्टेयर 7500 रुपये की मदद दी जा रही है।
  • स्वायल हेल्थ मैनेजमेंट के तहत निजी एजेंसियों को नाबार्ड के जरिए प्रति यूनिट 63 लाख रुपये लागत सीमा पर 33 फीसदी आर्थिक मदद मिल रही है।

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जैविक खेती के लिए सर्टिफिकेट (Certificate for organic farming)

जैविक खेती प्रमाण पत्र लेने की एक प्रक्रिया है। इसके लिए (jaivik kheti portal in hindi) https://www.jaivikkheti.in/ आवेदन करना होता है। फीस देनी होती है। प्रमाण पत्र लेने से पहले मिट्टी, खाद, बीज, बोआई, सिंचाई, कीटनाशक, कटाई, पैकिंग और भंडारण सहित हर कदम पर जैविक सामग्री जरूरी है। यह साबित करने के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री का रिकॉर्ड रखना होता है। इस रिकॉर्ड के प्रमाणिकता की जांच होती है। उसके बाद ही खेत व उपज को जैविक होने का सर्टिफिकेट मिलता है। इसे हासिल करने के बाद ही किसी उत्पाद को ‘जैविक उत्पाद’ की औपचारिक घोषणा के साथ बेचा जा सकता है। एपिडा ने आर्गेनिक फूड की सैंपलिंग और एनालिसिस के लिए एपिडा ने 19 एजेंसियों को मान्यता दी है।

By Biharkhabre Team

मेरा नाम शाईना है। मैं बिहार के भागलपुर कि रहने बाली हूं। मैंने भागलपुर से MBA की पढ़ाई कंप्लीट की हूं। मैं Reliance में कुछ समय काम करने के बाद मैंने अपना खुद का एक ब्लॉग बनाया। जिसका नाम बिहार खबरें हैं, और इस पर मैंने देश-दुनिया से जुड़े अलग-अलग विषय में लिखना शुरू किया। मैं प्रतिदिन देश दुनिया से जुड़े अलग-अलग जानकारी अपने Blog पर Publish करती हूं। मुझे देश दुनिया के बारे में नई नई जानकारी लिखना पसंद है।

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