आपने अक्सर प्रॉडक्ट्स को लेकर जीआई टैग (Gi tag meaning) Geographical indication tag ये शब्द सुना होगा। आपके मन में फिर ये सवाल भी आया होगा कि आखिर ये जीआई टैग क्या होता है। जीआई टैग किसी भी वस्तु के लिए बहुत जरूरी होता है। ये जीआई टैग (Gi Tag Full Information In Hindi) दरअसल प्रॉडक्ट से ज्यादा, वो जिस जगह का है, उसकी पहचान होते हैं। जीआई टैग किसी भी क्षेत्र की खास पहचान प्रॉडक्ट को देती हैं और उसे सहेजने के लिए काम आते हैं। आज हम आपको जीआई टैग (Gi tag 2021) की पूरी जानकारी इस आर्टिकल में देंगे। जीआई टैग क्या है , जीआई टैग की शुरुआत कब हुई, जीआई टैग के उद्देश्य, जीआई टैग क्यों शुरू हुआ, जीआई टैग किसे मिलता है,भारत में जीआई टैग कौन जारी करता है,भारत में कुल कितने जीआई टैग मिले, जीआई टैग के फायदे, जीआई टैग के फायदे, जीअई टैग कैसे मिलता है, जीआई टैग अधिकारिक वेबसाइट, जीआई टैग प्रमाण पत्र। ये सभी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
जीआई टैग क्या है ? (Gi Tag Full Information In Hindi)
जीआई टैग क्या है (What is gi tag) इस आर्टिकल में आपको बताएगें। वर्ल्ड इंटलैक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। ऐसा प्रोडक्ट जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्ठा मुख्य रूप से प्राकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है। भारत में संसद की तरफ से सन् 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ लागू किया था, इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है। ये टैग किसी खास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या फिर तैयार की जाने वाली वस्तुओं के दूसरे स्थानों पर गैर-कानूनी प्रयोग को रोकना।
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जीआई टैग की शुरुआत कब हुई ? (Gi Tag Starting)
जीआई कानून संसद में वस्तुओं को उनकी गुणवत्ता के आधार पर जीआई टैग साल 2003 में पास हुआ और भारत की विरासत, समृद्धता (prosperity) और पहचान को बचाने और पूरी दुनिया में प्रसिद्ध करने में कानूनी कवायद है।
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जीआई टैग के उद्देश्य (Objectives of Gi tag)
भौगोलिक संकेत टैग का मूल उद्देश्य दूसरे लोगों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अनधिकृत उपयोग को रोकना है। जीआई टैग के माध्यम से उत्पादन प्रक्रिया में नयापन लाने वाले लोगों को इस बात की सुरक्षा प्रदान की जाती है कि उनके उत्पाद की नक़ल कोई और व्यक्ति या संस्था नहीं करेगी। इसके दो मुख्य उद्येश्य हैं।
- GI टैग किसी क्षेत्र के उत्पाद की उत्पत्ति को पहचानने के लिए एक संकेत या प्रतीक है।
- इस GI टैग की मदद से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित वस्तुओं की अच्छी गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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जीआई टैग क्यों शुरू हुआ ? (Why Gi Tag Started)
डब्ल्यूटीओ से एग्रीमेंट के बाद ये खतरा पैदा हुआ कि दुनिया के तमाम देश भारत पर आर्थिक अतिक्रमण करना शुरू कर रहे हैं। वो यहां के उत्पादों की नकल कर नकली सामानों को बाजार में बेच रहे हैं। इससे भदोही की कालीन, बनारस की साड़ी, लखनऊ की चिकनकारी, कांजीवरम साड़ी पर खतरा पैदा हुआ। जबकि ये सभी हमारी धरोहर और विरासत हैं। ऐसे में इन नकली सामानों से बचाने का जीआई टैग (Gi tagged products) एक मात्र कानूनी हथियार है। इस टैग से उत्पाद को बनाने, प्रोडक्शन करने की गारंटी उसी ज्योग्राफिकल एरिया में होती है। लेकिन सामान पूरी दुनिया में बेचा जाएगा। यही इस कानून की सबसे बड़ी खासियत है।
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जीआई टैग किसे मिलता है ? (Gi Tag Full Information In Hindi)
जीआई टैग से पहले किसी भी सामान की गुणवत्ता, उसकी क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है। यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और ओरिजिनल पैदावार निर्धारित राज्य की ही है। इसके साथ ही यह भी तय किए जाना जरूरी होता है कि भौगोलिक स्थिति का उसके उत्पादन में कितना योगदान है। कई बार किसी खास वस्तु का उत्पादन एक विशेष स्थान पर ही संभव हो पाता है। इसके लिए वहां की जलवायु से लेकर उसे आखिरी स्वरूप देने वाले कारीगरों तक का बहुत योगदान होता है।
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भारत में जीआई टैग कौन जारी करता है ? (Who issues GI tag in India)
भारत में ये टैग (Gi tag list in hindi) किसी खास फसल, प्राकृतिक और मैन्युफैक्चर्ड प्रॉडक्ट्स को दिया जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि एक से अधिक राज्यों में बराबर रूप से पाई जाने वाली फसल या किसी प्राकृतिक वस्तु को उन सभी राज्यों का मिला-जुला GI टैग (Gi tag list 2021) दिया जाए। उदाहरण के लिए बासमती चावल जिस पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों का अधिकार है। भारत में वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से जीआई टैग दिया जाता है।
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भारत को कुल कितने जीआई टैग मिले ? (Gi Tag Full Information In Hindi)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर WIPO की तरफ से जीआई टैग जारी किया जाता है। इस टैग वाली वस्तुओं पर कोई और देश अपना दावा नहीं ठोंक सकता है। भारत को अब तक 365 जीआई टैग्स (Gi tag list) मिल चुके हैं। जर्मनी के पास सबसे ज्यादा जीआई टैग्स हैं और उसने 9,499 वस्तुओं के लिए इस टैग को हासिल किया है। इसके बाद 7,566 जीआई टैग्स के साथ चीन दूसरे नंबर पर, 4,914 टैग्स के साथ यूरोपियन यूनियन तीसरे नंबर है। इसके अलावा 3,442 टैग्स के साथ मोल्डोवा चौथे नंबर पर और 3,147 जीआई टैग्स के साथ बोस्निया और हेरजेगोविना पांचवें नंबर पर हैं।
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जीआई टैग के फायदे (Benefits of Gi tag)
GI टैग मिलने से कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति या संगठन को GI टैग के इस्तेमाल से रोक सकता है। इन सबके अलावा इसका सबसे ज्यादा फायदा व्यापार में मिलता है। पहचान मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए दरवाजे खुल जाते हैं। प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ जाता है। साथ में फर्जी प्रोडक्ट को रोकने में मदद मिलती है।
दरअसल, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन का Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS) नाम का एक एग्रीमेंट है। इस एग्रीमेंट को साइन करने वाले सभी देश एक दूसरे के जीआई टैग का सम्मान करते हैं। एग्रीमेंट के मुताबिक, अगर किसी देश को किसी विशेष उत्पाद के लिए टैग मिला है, तो दूसरे उस तरह के फेक प्रोडक्ट्स को रोकने की कोशिश करेंगे।
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जीअई टैग कैसे मिलता है ? (How to get gi tag)
किसी उत्पाद के जीआई टैग के लिए कोई भी व्यक्तिगत निर्माता, संगठन इसके लिए भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) में आवेदन कर सकता है। इस संस्था की तरफ से उत्पाद की विशेषताओं से जुड़े हर दावे को परखा जाता है। पूरी जांच पड़ताल और छानबीन के बाद संतुष्ट होने पर ही जीआई टैग मिलता है। शुरूआत में जीआई टैग 10 साल के लिए मिलता है। बाद में इसे रिन्यू भी करवाया जा सकता है।
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जीआई टैग अधिकारिक वेबसाइट (Gi tag Official Website)
जीआई टैग (Gi tag) के बारे में जानने के लिए या फिर इस tag को प्राप्त करने के लिए अगर आप आवेदन करना चाहते हैं, तो आपको इसके ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा आप इस ऑफिशियल वेबसाइट की मदद से आवेदन कर सकते हैं। Controller General of Patents, Designs and Trade Marks (CGPDTM) के ऑफिस चेन्नई में इस संस्था का हेडक्वाटर है। ये संस्था एप्लीकेशन चेक करेगी एवं देखेगी कि दावा कितना सही है। पूरी तरह से छानबीन करने और संतुष्ट होने के बाद उस प्रॉडक्ट को जीआई टैग मिल जाएगा।
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जीआई टैग प्रमाण पत्र (GI tag certificate)
प्रमाणपत्र सर्टिफिकेट (Gi tag certificate) का मिलना। सरकार की ओर से एक सर्टिफिकेट मिलता है। साथ ही मिलता है एक लोगो जो टैग होता है, उसका प्रयोग एक ही समुदाय कर सकता है। जैसे ओडिशा के रसगुल्ला के लिए जो लोगो मिला, उसका इस्तेमाल ओडिशा के लोग कर सकते हैं। रसगुल्ले के डिब्बे पर जीआई टैग 10 साल के लिए मिलता है। हालांकि इसे रिन्यू करा सकते हैं।