Free heart treatment in Bihar: बिहार में जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को अब महंगे उपचार से घबराने की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार के सहयोग से गुजरात की संस्था प्रशांती मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन महंगे ऑपरेशन मुफ्त करेगी। यही नहीं गुजरात जाने-आने, रहने और खाने-पीने तक के तमाम खर्च सरकार वहन करेगी।
आइजीआइसी के निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा कि चार मार्च को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान (आइजीआइसी) और छह मार्च को इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में शिविर लगाकर संस्था जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित ऐसे बच्चों को चिह्नित करेगी, जिन्हें तुरंत ऑपरेशन की जरूरत होगी।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल
राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर बाल हृदय योजना को सात निश्चय-2 में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री का मानना है कि जन्म के वक्त जिन बच्चों के हृदय में छेद होता है वैसे बच्चों के अभिभावकों को काफी आर्थिक संकटों का सामना करना होता है। इन्हें राहत देने के लिए योजना शुरू की गई है।
इस फैसले में एक बड़ी दिक्कत यह है कि देश भर में पेडियाट्रिक हर्ट सर्जन की काफी कमी है। बिहार में हर्ट के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इंदिरा गांधी हृदय रोग अस्पताल (IGIC) में तो पेडियाट्रिक हर्ट सर्जन हैं ही नहीं। पटना एम्स में भी ऐसे डॉक्टर नहीं हैं। बीते साल 15 अक्टूबर को IGIC में बंगलौर से बुलायी गई पेडियाट्रिक डॉक्टरों की टीम ने पांच बच्चों का ऑपरेशन किया था। इस माह जनवरी में भी 14-15 तारीख को ऐसा ऑपरेशन बाहर के डॉक्टर ही करेंगे। इसलिए दिल में छेद वाले बच्चों की सर्जरी के लिए मरीजों को बाहर नहीं जाना पड़े या बाहर से डॉक्टर नहीं बुलाना पड़े, उसके लिए सरकार को पेडियाट्रिक हर्ट सर्जन की बहाली भी करनी होगी। IGIC के डायरेक्टर डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि बिहार सरकार द्वारा कैबिनेट के इस फैसले से दिल की बीमारी से ग्रस्त बच्चों को काफी फायदा होगा।
Free heart treatment in Bihar इलाज का पूरा खर्च करेगी सरकार
निदेशक डॉ. सुनील कुमार ने आगे बताया कि संस्थान में इलाज करा रहे सौ जन्मजात हृदय रोगियों के अलावा प्रचार-प्रसार से जानकारी मिलने पर आए करीब सवा सौ बच्चों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य है। ईसीजी और ईको जैसी जांच रिपोर्ट देखने के बाद यह प्रशांती संस्था के विशेषज्ञ तय करेंगे कि तुरंत कितने बच्चों के उपचार को साथ ले जाएंगे। स्क्रीनिंग से लेकर सर्जरी व पूरे इलाज के अलावा घर वापस आने तक का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
इलाज में खर्च
दिल में छिद्र का इलाज कराना महंगा है। साइनोटिक मरीजों के इलाज में लगभग तीन लाख का खर्च आता है। ए-साइनोटिक मरीजों के इलाज में लगभग दो लाख रुपए का खर्च आता है। यह खर्च प्राइवेट अस्पतालों का है और यह अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं के हिसाब से बढ़ता है। ऐसे मरीजों के इलाज की व्यवस्था दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में ही है।
Free heart treatment in Bihar जिलास्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी करेगी बच्चों की जांच
योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों की पहचान के लिए जिलास्तर पर स्क्रीनिंग कमेटी होगी। जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा अन्य अफसर भी होंगे। स्क्रीनिंग अपनी अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग को भेजेगी। जहां से बच्चों को इलाज के लिए आइजीआइएमएस या फिर अहमदाबार रेफर किया जाएगा। स्क्रीनिंग से लेकर इलाज पर आने वाला पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसके लिए अलग से फंड की भी व्यवस्था होगी। सूत्रों की माने तो बाल हृदय योजना सात निश्चय-2 की वैसी योजना होगी जो प्रदेश में सबसे पहले लागू होगी।
संस्थान के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बीरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि देश में हर वर्ष जन्मजात हृदय रोग के करीब डेढ़ लाख नए मामले सामने आते हैं। समय पर इनकी जांच नहीं होने से आधे से अधिक की मौत हो जाती है। इसका एक कारण आशंका नहीं होने के कारण उपचार में देरी के अलावा इलाज व सर्जरी का महंगा होना है।