बिहार में बिजली संकट (Bihar power crisis) गहराने के आसार हैं। औरंगाबाद जिले में एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation) नवीनगर की एनपीजीसी एवं बीआरबीसीएल (Bharatiya Rail Bijlee Company Limited) बिजली परियोजना में तीन से चार दिन का ही कोयला बचा है। एनटीपीसी प्रबंधन के अनुसार प्रतिदिन कोयले का आना जारी है। अगर कोयले का तीन से चार दिन आना रुक जाए तो दोनों बिजली परियोजना से उत्पादन पर असर पड़ सकता है। बिजली उत्पादन में कमी आने पर बोधगया पावर ग्रिड पर भी असर पड़ेगा। दोनों परियोजना को झारखंड के कोल इंडिया से आपूर्ति की जाती है। एनपीजीसी की हजारीबाग में एक अपनी माइंस है।
बिहार में गहराने लगा बिजली संकट (Bihar power crisis)
एनपीजीसी की दो यूनिट से 1320 एवं बीआरबीसीएल की तीन यूनिट से 750 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। एनपीजीसी से उत्पादित बिजली का 85 फीसद तथा बीआरबीसीएल से उत्पादित बिजली का 10 फीसद हिस्सा राज्य को मिलता है।
एनपीजीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय कुमार सिंह ने बताया कि हमारे प्लांट में प्रतिदिन कोयला आ रहा है, लेकिन ज्यादा स्टाक नहीं है। प्रतिदिन कोयला के आने से बिजली उत्पादन पर अबतक कोई असर नहीं पड़ा है। कोयले की कमी न हो इसके लिए पूरा मैनेजमेंट लगा हुआ है और हर पल इसकी मानीटरिंग की जा रही है।
मालूम हो कि सोमवार को जनता दरबार कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में जानकारी दी थी कि बिहार सरकार 90 करोड़ रुपये अधिक की कीमत पर बिजली खरीद रही है। उन्होंने जनता से आग्रह किया था कि अफवाहों पर न जाएं। आमजन की जरूरत को पूरा करना ही सरकार का काम है।
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वे बिजली विभाग के अधिकारियों से स्वयं बात कर रहे हैं। उन्होंने जनता को आश्वस्त किया था कि सरकार को चाहे कुछ भी करना पड़े, लेकिन जनता को संकट नहीं होने दिया जाएगा। बिजली की समस्या केवल बिहार राज्य की नहीं है। यह पूरे देश के लिए परेशानी है।