बिहार महिला सिपाही संभालेंगी इमरजेंसी डायल 112 की जिम्मेदारी । बिहार में आपात स्थिति के लिए एक फोन नंबर का सपना जल्द ही पूरा होने वाला है। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। पुलिस की मदद चाहिए, या फायर ब्रिगेड की, या फिर एंबुलेंस ही मंगानी हो, अब केवल एक नंबर डायल पर करने इनमें से हर सुविधा आपको मिल सकेगी। इसके लिए इमरजेंसी नंबर 112 की सेवा शुरू की जाने वाली है।
डायल 112 से शुरू होने वाली आपातकालीन सेवा की जवाबदेही तेज तर्रार महिला सिपाहियों पर होगी। इसके लिए 86 महिला सिपाहियों का चयन किया गया है, जिन्हें 20 दिसंबर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। तीन दिनों के इस प्रशिक्षण शिविर में 30-30 के बैच में इन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। आखिरी बैच 26 महिला सिपाहियों का होगा।
बिहार महिला सिपाही संभालेंगी इमरजेंसी डायल 112 की जिम्मेदारी
डायल 112 काल सेंटर में महिला सिपाहियों को इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तहत आने वाली फोन काल को अटेंड करने और उसकी सूचना आगे संबंधित विभाग तक पहुंचाने की जवाबदेही होगी। डायल 112 के लिए चुनी गईं 86 महिला सिपाहियों में सर्वाधिक 14 पटना जिला पुलिस की हैं। इसके बाद वैशाली व बेतिया जिला बल से सात-सात, जहानाबाद और जमुई जिला बल से पांच-पांच महिला सिपाहियों को चुना गया है। इस आपातकालीन सेवा से जुडऩे के लिए महिला सिपाहियों से आवेदन मांगा गया था। तीन सदस्यीय कमेटी ने साक्षात्कार के बाद 86 महिला सिपाहियों को चुना है।
पांच साल की सेवा जरूरी
पुलिस मुख्यालय ने डायल 112 के कमांड और कंट्रोल सेंटर के लिए इंसिडेंट रिस्पांस अफसर, डिस्पैच अफसर और कॉल रिस्पांस एसोसिएट के पदों के लिए इच्छुक पुलिस अधिकारियों और जवानों से आवेदन मांगा था। इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। वैसे पुलिस अफसर और जवान ही इसके लिए आवेदन कर सकते थे जिनकी सेवा पुलिस में कम से कम 5 वर्ष की हो चुकी है। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक होनी चाहिए और कम्प्यूटर की सामान्य जानकारी होनी भी जरूरी है। वहीं पुलिस अफसर या जवान की उम्र 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
112 पर हर इमरजेंसी सेवा
गृह विभाग जल्द ही डायल 112 सेवा को लांच करेगा। अभी हर इमरजेंसी सेवा के लिए अलग-अलग नंबर है। पुलिस के लिए 100, फायर ब्रिगेड के लिए 101 और एंबुलेंस के लिए 102 इमरजेंसी नंबर डायल करना होता है। नया सिस्टम लांच होने के बाद इमरजेंसी सेवा के लिए एक ही नंबर 112 डायल करना होगा। पहले चरण में पटना समेत 10 जिलों से इसकी शुरुआत करने का लक्ष्य है। इसके बाद सभी पूरे राज्य में इसका विस्तार होगा।