CEO Advait Thakur Motivational Story: सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती, मात्र 17 साल की उम्र में अद्वैत ठाकुर ने खड़ी की करोड़ों की कम्पनी

CEO Advait Thakur Motivational Story: सफलता उम्र की मोहताज नहीं होती। इस कथन को साबित कर दिखाया है मुंबई के 17 वर्षीय अद्वैत ठाकुर (Advait Thakur)   ने 2017 में इन्होंने इंटरनेट आफ थिंग्स,मशीन लर्निंग के क्षेत्र को एक्सप्लोर करने का फैसला किया और नींव पड़ी टेक्नोलाजी कंपनी ‘एपेक्स इंफोसिस इंडिया’ की, जो स्मार्ट होम प्रोडक्ट्स में डील करती है। इनकी मानें,तो देश को आत्मनिर्भर बनाने में युवाओं का बड़ा योगदान हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि पैरेंट्स अपने बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप में आने के लिए प्रोत्साहित करें।

CEO Advait Thakur Motivational Story

अद्वैत कहते हैं कि उन्होंने उद्यमिता में जाने के बारे में प्लान नहीं किया था। हां, बचपन से ही कंप्यूटर आदि में गहरी रुचि थी। एक समय आया, जब लगा कि उनके पास जो हुनर है, उससे दूसरों को भी फायदा पहुंचाया जा सकता है। पहली बार कुछ स्वयंसेवी संगठनों की मदद की। जब छठी कक्षा में थे, तभी एक डिजिटल एजेंसी शुरू की। कोई मेंटर नहीं था। सिर्फ जिस रास्ते को चुना, उस पर आगे बढ़ते गए और सीखते गए।

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माता-पिता टेक बैकग्राउंड से थे, तो उनसे जरूर मदद मिली। अद्वैत सोशल  (CEO Advait Thakur Motivational Story) मीडिया के जरिये युवाओं को प्रेरित करते हैं कि वे एम्प्लायमेंट सीकर नहीं, जेनरेटर बनें। वह स्वयं रतन टाटा और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को अपनी प्रेरणा मानते हैं। खुद को मार्क की तरह एक एक्सीडेंटल एंटरप्रेन्योर मानने वाले अद्वैत टेक्नोलाजी के जरिये एग्रीकल्चर सप्लाई चेन में सुधार लाने की कोशिश भी कर रहे हैं।

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इसके लिए वह एक अन्य एग्री टेक स्टार्टअप के आइडिया पर काम कर रहे हैं। दरअसल,वह समुदाय और समाज के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। सामान्य एंटप्रेन्योर्स की अपेक्षा लाभ-हानि से ऊपर उठकर मूल्य आधारित सिस्टम क्रिएट करने का इरादा रखते हैं। उनका मानना है कि अगर हम एक उद्देश्य के साथ बिजनेस करते हैं, कुछ क्रिएट करते हैं, तो उसका दीर्घकालिक फायदा होता है।

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वह बताते हैं,‘अगर युवा बड़े सपने देख सकते हैं,तो उसे पूरा करने की हिम्मत भी रखते हैं। मेरी टीम में 25 के करीब सदस्य हैं, जिनमें काफी अनुभवी मेंबर्स भी हैं। इसके अलावा 12 के करीब इनहाउस डेवलपर्स हैं। उन सभी को साथ लेकर चलने के साथ ही अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना पड़ता है। बमुश्किल चार घंटे नींद ले पाता हूं, लेकिन कुछ बोझ जैसा नहीं लगता है।

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अद्वैत आगे चलकर कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं। इतनी कम उम्र में इतना सब कैसे बैलेंस कर पाते हैं, पूछने पर कहते हैं, ‘उम्र तो सिर्फ एक संख्या है। नि:संदेह अनुभव मायने रखता है। लेकिन हर किसी का अपना विश्वास होता है कि वे खुद से पहल कर अपने अनुभव बना सकते हैं, नया निर्माण कर सकते हैं, जिससे देश का भी फायदा हो।‘

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