सूबे के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र पढ़ रहे हैं मेडिकल से जुड़े चैप्टर । तीसरे से सातवें सेमेस्टर के छात्रों के लिए बायोलॉजी फॉर इंजीनियर्स कोर्स जोड़ा गया है। इसमें बायोलॉजी को इंजीनियरिंग के साथ जोड़कर पढ़ाया जा रहा है। तीसरे सेमेस्टर से लेकर सातवें सेमेस्टर तक हर ब्रांच के छात्रों को यह कोर्स पढ़ाया जाता है।
इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र पढ़ रहे हैं मेडिकल से जुड़े चैप्टर
भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल विभाग के सहायक प्राध्यापक देवनाथ कुमार ने बताया कि सरकार आईआईटी और एनआईटी में बायोमेडिकल पर शोध को प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ इस कोर्स को जोड़ा है। इसकी मांग विदेश में काफी है।
इससे बायो मैकेनिक्स के क्षेत्र में शोध की असीम संभावनाएं बढ़ेंगी। छात्रों को सिलेबस के रूप में जेनेटिक्स, बायो मॉलिक्यूल्स, एंजाइम, इंफारमेशन ट्रांसफर, माइक्रोमॉलिक्यूल्स एनालाइसिस, मेटाबॉलिज्म, माइक्रोबायोलॉजी आदि टॉपिक पढ़ाये जाते हैं। न्यूरो बेस्ड मैकेनिज्म, बॉडी मैकेनिज्म, स्ट्रेंथ (ताकत) आदि की जानकारी दी जाती है।
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सहायक प्राध्यापक देवनाथ कुमार बताते हैं कि जेनेटिक्स चैप्टर में छात्रों को डीएनए, आरएनए, मेंडले लॉ आदि पढ़ाया जाता है। इसी तरह बायो मॉलिक्यूल्स के छात्रों को शरीर के बॉडी मॉलिक्यूल्स, प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, अमीनो एसिड, सिग्नल सिस्टम आदि के बारे में बताया जाता है। इंफार्मेशन सिस्टम में डीएनए, आरएनए के स्ट्रक्चर, ट्रांसफर, डीएनए डाटा स्टोर आदि की पढ़ाई होती है।
मेडिकल क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद
भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज की प्राचार्य डॉ. पुष्पलता ने बताया कि इस तरह के कोर्स का कोरोना संक्रमण के बाद से महत्व बढ़ गया है। शोध के नए आयाम खुलेंगे और प्लेसमेंट में भी मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियां आएंगी। भागलपुर ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. अरविंद चौबे ने बताया कि बायोलॉजी फॉर इंजीनियर्स जैसे कोर्स इंजीनियरिंग के पारंपरिक पैटर्न से छात्रों को आगे ले जाएगा। ट्रिपल आईटी से बीटेक करने वाले छात्रों को बायोमेडिकल सिग्नल सिस्टम एनालाइसिस का कोर्स सातवें सेमेस्टर में पढ़ाया जाता है। जबकि एमटेक कर रहे छात्रों को दूसरे सेमेस्टर में पढ़ाया जाता है।
जांच की जटिल प्रक्रिया से निजात दिलाने के लिए भागलपुर ट्रिपल आईटी के निदेशक और उनकी टीम ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सॉफ्टवेयर विकसित किया है। इसके उपयोग से सेकेंड भर में कोरोना का पता चल जाता है। इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब सिर्फ आईसीएमआर की सहमति का इंतजार है। वहीं, ट्रिपल आईटी के सहायक प्राध्यापक डॉ. संदीप राज ने एक्सरे और चेस्ट से जुड़ी बीमारी का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया है। इसके अलावा पटना एम्स के साथ ट्रिपल आईटी ने समझौता किया है। इसमें बीमारी की वजह जानने और नई मशीनों को तैयार करने पर जोर दिया गया है।
कौन से सेमेस्टर में होगी पढ़ाई
सिविल और मैकेनेमिकल के छात्रों को तीसरे सेमेस्टर में
इलेक्ट्रिकल के छात्रों को चौथे सेमेस्टर में
इलेक्ट्रॉनिक्स के छात्रों को छठे सेमेस्टर में
कंप्यूटर साइंस के छात्रों को सातवें सेमेस्टर में