Advocate Protection Act: वकील या उसके परिवार को क्षति व चोट पहुंचाने पर भरना होगा 10 लाख रुपए का जुर्माना, ड्राफ्ट में 16 धाराएं बनाई गई

पटना: वकीलों से उलझना अब बड़ी मुश्किलों को बुलावा देना होगा। पुलिस भी वकीलों से बेवजह उलझने से और डरेगी। यह सब होगा अधिवक्‍ता सुरक्षा अधिनियम (Advocate Protection Act) के पास होने के बाद। बार काउंसिल आफ इंडिया की सात सदस्यीय समिति ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट (अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम) का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। बीसीआइ (BCI) के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा (Manan Kumar Mishra) ने बताया कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा की रूप-रेखा तैयार कर ली गई है। प्रयास होगा कि संसद (Parliament) से इस विधेयक को जल्द पारित कर लिया जाए।

Advocate Protection Act

प्रस्तावित बिल में वकील तथा उनके परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की क्षति व चोट पहुंचाने की धमकी देना, किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, दबाव पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी से दिलवाना, वकीलों को किसी केस में पैरवी करने से रोकना, वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

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ये सभी अपराध गैर जमानती अपराध होंगे। ऐसे अपराध के लिए 6 माह से 2 वर्ष की सजा के साथ-साथ दस लाख रुपये जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। इन अपराधों के लिए पुलिस को 30 दिनों के भीतर अनुसंधान पूरा करना होगा, जिसकी सुनवाई जिला व सत्र न्यायाधीश/अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश करेंगे लेकिन अगर कोई वकील अभियुक्त हो तो यह कानून उसपर लागू नहीं होगा।

ड्राफ्ट में 16 धाराएं बनाई गई

Advocate Protection Act

विधेयक की ड्राफ्टिंग में समिति के वरीय अधिवक्ता एस प्रभाकरन, देवी प्रसाद ढल, बीसीआइ के सह अध्यक्ष सुरेश श्रीमाली, सदस्य शैलेंद्र दुबे, प्रशांत कुमार सिंह, ए रामी रेड्डी, श्रीनाथ त्रिपाठी शामिल थे। ड्राफ्ट में 16 धाराएं बनाई गई हैं। बीसीआइ चाहता है कि संसद से उनके प्रस्‍ताव को मंजूरी मिल जाए। संसद में चर्चा और पास किए जाने के बाद ही तय होगा कि इस कानून में आखिरी रूप से क्‍या प्रावधान किए जाते हैं।

Advocate Protection Act वकील को सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में देना होगा आवेदन

वकील को सुरक्षा देने के बारे में भी प्रस्तावित कानून में प्रावधान किये गये हैं। वकील को सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में आवेदन देना होगा। हाईकोर्ट वकील के आचरण सहित अन्य तथ्यों  की जांच कर, जरूरत पड़ने पर स्टेट बार काउंसिल तथा बीसीआई से जानकारी लेकर सुरक्षा देने के बारे में आदेश जारी करेगा। एक बार किसी वकील को सुरक्षा दिए जाने के बाद उसे वापस लेने के लिए कोर्ट के रजिस्ट्रार के स्पष्ट निर्देश के बाद ही सुरक्षा वापस ली जा सकेगी।

सुझाव एक हफ्ते में दे सकते हैं

प्रस्तावित बिल के बारे में बीसीसीआई के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि ड्रॉफ्ट बिल की कॉपी देश के सभी स्टेट बार काउंसिल सहित वकील संघों को भेजा जा रहा है। ताकि प्रस्तावित ड्रॉफ्ट में कोई सुझाव देना चाहते तो वह एक सप्ताह के भीतर सुझाव दे सकें। उनका कहना था कि इस ड्रॉफ्ट बिल को जल्द से जल्द संसद से पास कराने का प्रयास किया जायेगा।