‘डर गए थे सिद्धारमैया, मैं उनकी तरह दबाव में नहीं झुकता…’, आखिर DK शिवकुमार ने ऐसा क्यों कहा

बेंगलुरु: कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक कड़ी टिप्पणी में, मंगलवार को कहा कि अगर वह मुख्यमंत्री होते तो 2017 में विवादास्पद स्टील फ्लाईओवर परियोजना को अपने बॉस सिद्धारमैया की तरह जनता के विरोध के दबाव में झुककर रोकने का फैसला नहीं करते. शिवकुमार विधानसभा में केम्पेगौड़ा जयंती पर बोल रहे थे, जहां उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों ने उनसे शहर में सुरंग और फ्लाईओवर बनाने पर विचार करने का अनुरोध किया है.

'डर गए थे सिद्धारमैया, मैं उनकी तरह दबाव में नहीं झुकता...', आखिर DK शिवकुमार ने ऐसा क्यों कहा

शिवकुमार ने कहा, ‘सिद्धारमैया सरकार में, वे एक स्टील ब्रिज बनाना चाहते थे. इस प्रोजेक्ट को लेकर हंगामा खड़ा हुआ और आलोचना हुई. कहा गया कि प्रोजेक्ट में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार हुआ है. सिद्धा डर गए. उन्होंने और केजे जॉर्ज (तत्कालीन बेंगलुरु शहर विकास मंत्री) ने इस प्रोजेक्ट के लिए मना कर दिया. अगर यहां मैं होता, तो मैं नहीं डरता. चाहे कुछ भी होता, मैं प्रोजेक्ट को शुरू करता और बुलडोजर चला दिया होता.’

शिवकुमार बसवेश्वर सर्कल से हेब्बल जंक्शन तक 6.7 किलोमीटर लंबे स्टील फ्लाईओवर का जिक्र कर रहे थे, जिसकी लागत 1761 करोड़ रुपये थी और इसके जरिए हवाई अड्डे से शहर की कनेक्टिविटी में सुधार होना था. इस परियोजना में 800 से अधिक पेड़ काटने पड़ते. सिद्धारमैया सरकार ने 2017 में, नागरिकों के उग्र विरोध के कारण इस परियोजना को छोड़ दिया था. शिवकुमार ने कहा, ‘अब भी मैं कुछ फैसले लूंगा.’ शिवकुमार ने बेंगलुरु के विकास के लिए अपने विजन के बारे में बात करते हुए कहा, ‘हल्ला मचाने वालों को चिल्लाने दो, अंडे तैयार रखो और प्रदर्शनकारियों को धरना देने दो. मैं आगे बढ़ता रहूंगा. यह एक अवसर है कि हमें कुछ पीछे छोड़ना होगा.’

उन्होंने कहा कि जब केंगल हनुमंतैया नगरपालिका अध्यक्ष थे तब शहर की आबादी 16 लाख थी. अब 1.60 करोड़ लोग बेंगलुरु में रहते हैं. शिवकुमार ने कहा कि वह शहर के लिए सैटेलाइट टाउन के बारे में सोच रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘केंगेरी और येलहंका में  सैटेलाइट टाउन के बाद कुछ भी योजना नहीं बनाई गई.’ उन्होंने कहा कि वह शहर की सड़कों के बारे में भी कुछ करना चाहते हैं. डीके शिवकुमार ने राजाजीनगर का उदाहरण देते हुए कहा, ‘हर कोई एक कार रखना चाहता है, जबकि सड़कें वैसी ही बनी हुई हैं. और कारें घरों के सामने खड़ी होती हैं, यह बहुत मुश्किल है. कुछ घरों में तीन कारें हैं, वे उन्हें कहां पार्क करते होंगे?’

इस बीच, स्पतिकापुरी मठ के पुजारी नंजवदुथा स्वामी ने सरकार से सभी सार्वजनिक कार्यालयों में बेंगलुरु के संस्थापक केम्पेगौड़ा का चित्र प्रदर्शित करना अनिवार्य बनाने का आग्रह किया. उन्होंने सरकार से केम्पेगौड़ा को स्कूली पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने का भी आग्रह किया. इस अवसर पर, गोल्फर अदिति अशोक, ज़ेरोधा के संस्थापक नितिन कामथ और श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवास्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च को केम्पेगौड़ा अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया. कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने डीके शिवकुमार के बयान पर ANI से कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि सिद्धारमैया डर गए. मुख्यमंत्री जनमत के प्रति संवेदनशील हैं. कभी.कभी झूठी बातें सामने आती हैं और अच्छे निर्णयों में देरी होती है. मुझे लगता है कि उपमुख्यमंत्री का यही मतलब था.’