सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने और बेचने के नियम बदले, जानें आपको होगा फायदा या नुकसान

यदि आप सेकंडहैंड कार, बाइक या अन्य व्हीकल खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, यूज्ड व्हीकल खरीदने और बेचने में होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री (MoRTH) ने कुछ बदलाव किए हैं। मंत्रालय ने इसी साल सितंबर में लोगों से सुझाव लेने के लिए नोटीफिकेशन जारी किया था।

सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने और बेचने के नियम बदले

मंत्रालय ने कहा, “यूज्ड कार खरीदने के दौरान रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर, कार ओनर की जानकारी और थर्ड पार्टी से नुकसान की भरपाई जैसे कई बातें हैं, जिनके कारण बायर और सेलर दोनों को परेशान होना पड़ता है। ऐसे में मंत्रालय ने लोगों से मिले सजेशन के आधार पर नियमों में बदलाव किए हैं। इससे पुरानी गाड़ी बेचने वाली कंपनियों और डीलरों के साथ आम लोगों को भी फायदा होगा।”

आइये जानते हैं सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने-बेचने के नियमों में क्या बदलाव हुए…

  • नए नियमों के मुताबिक अब आरटीओ से रजिस्टर्ड डीलर और कंपनियां ही कार या व्हीकल खरीद और बेच सकेंगी। इससे सेकंडहैंड गाड़ियों की खरीदी-बिक्री में पारदर्शिता आएगी।
  • MoRTH ने केंद्रीय मोटरयान वाहन नियम 1989 के अध्याय तीन में संशोधन किया है। इससे गाड़ी के ट्रांसफर में होने वाली रुकावट, थर्ड पार्टी से बकाया वसूलने संबंधी विवाद, डिफॉल्टर तय करने में होने वाली परेशानी दूर होगी।
  • बिचौलियों को अब रीसेल के लिए आए प्रत्येक पंजीकृत वाहन के बारे में अधिकारियों को सूचित करना होगा।
  • डीलरों को अब ये अधिकार दिए गए हैं कि वे अब कब्जे वाली गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, फिटनेस सर्टिफिकेट, एनओसी और वाहन ट्रांसफर के लिए सीधे आवेदन कर पाएंगे।
  • डीलर को इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स का ट्रिप रजिस्ट्रेशन रखना जरूरी होगा। इस दौरान गाड़ी का यूज करने का पूरा ब्योरा देना होगा। जैसे गंतव्य स्थान जाने का कारण, कितने किलोमीटर कार चलाई गई और ड्राइवर कौन था, माइलेड और समय आदि।

इन नियमों से रजिस्टर्ड वाहनों के डीलरों या विचोलियों की पहचान करने और उन्हें अधिकार देने में सहायक होंगे। साथ ही वाहन की खरीदी-बिक्री में होने वाली धोखाधड़ी से बचाव होगा।

आगे पढ़ें: अटल पेंशन योजना कैसे चेक करें, जानिए आसान तरीका

क्या आम लोगों को होगा फायदा

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार ट्रासपोर्ट एक्सपर्ट गुरुमतीत सिंह तनेजा ने कहा है कि कार बेचने के दौरान डीलर खाली सेल लैटर पर साइन कर लेते हैं। इसके बाद कार बिकने में कुछ समय लगता है, लेकिन इस बीच में कार का इस्तेमाल कौन कर रहा है ये कार मालिक को नहीं पता होता है। नए नियम के अनुसार डीलर ऑनलाइन पहले कार को अपने नाम करवाएगा और इसके बाद ही वो इसे बेच सकेगा। ऐसे में कार मालिक की बेचने के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *